Sunday, September 4, 2022

ब्लॉक प्रिंटिंग विधि (टाइप ऑफ़ प्रिंटिंग तकनीक), Block printed method of fabric printing

 ब्लॉक प्रिंटिंग  विधि (टाइप ऑफ़ प्रिंटिंग तकनीक) 


· यह छपाई का सबसे पहला तरीका था जिसका इस्तेमाल कपड़े को प्रिंट करने के लिए किया जाता था।

· इस पद्धति में, उभरी हुई मुद्रण सतह वाले ब्लॉक का उपयोग किया जाता है।

· उभरी हुई छपाई की सतह पर पहले वांछित रंग का स्याही लगाया जाता है।

- स्याही वाली छपाई की सतह को कपड़े की सतह पर दबाया जाता है।

- वांछित डिजाइन के अनुसार एक ही ब्लॉक की पुनरावृत्ति के बाद पूरा किया जाता है।

- पुराने समय  में, ब्लॉक टेराकोटा के बने होते थे।

-अब, ब्लॉक नक्काशीदार लकड़ी से बनाये जाते हैं।

- सामान्यतया, ब्लॉक प्रिंट में रंग का कोई बड़ा क्षेत्र एक सामान  नहीं होता हैl

· इसे कई छोटे रंगीन क्षेत्रों से कुशलता से बनाया गया था क्योंकि लगभग 10 मिमी से अधिक चौड़ी लकड़ी की सतह एक समान प्रिंट नहीं देती थी।

-इसका यह फायदा था कि फूल जैसे आकृति पर तीन या चार ब्लॉकों से प्राप्त प्रकाश छाया का प्रभाव होगा, प्रत्येक एक ही रंग या छाया की एक अलग शेड की डेप्थ प्राप्त होती है।

- व्हाइट  या रंगे हुए कपड़े को पहले पिन की मदद से प्रिंटिंग टेबल पर लगाया जाता है।

- अब, ब्लॉक पर रंग लगाया जाता  है और स्याही वाले ब्लॉक को कपड़े की सतह पर रखा जाता  है और कपड़े की सतह पर रंग की छाप बनाने के लिए इसे दबाया जाता है।

· उपयोग किए जाने वाले ब्लॉकों की संख्या डिजाइन में मौजूद रंगों की संख्या पर निर्भर करती है।

ब्लॉक प्रिंटिंग विधि में शामिल विभिन्न चरण:

ब्लॉक प्रिंटिंग विधियों में शामिल विभिन्न विधियाँ नीचे दी गई हैं:

1- प्रिंटिंग ब्लॉक की नक्काशी ( carving ) 

2- प्रिंटिंग टेबल पर फैब्रिक माउंटिंग और फिक्सिंग।

3- रंग तैयार करना।

4- कपड़े की छपाई।

5- प्रिंटेड  कपड़े को सुखना ।

6- क्युरिंग एंड फिनिशिंग।

प्रिंटिंग ब्लॉक की नक्काशी:

ब्लॉक की तैयारी के लिए काफी दृढ़ लकड़ी का उपयोग किया जाता है। अगर लकड़ी काफी सख्त है तो डिजाइन के किनारे बारीक काटने के दौरान नहीं टूटते हैं। पीयर ( नाशपाती)    की लकड़ी ब्लॉक बनाने के लिए बहुत उपयुक्त होती  है। ब्लॉक बनाने की प्रक्रिया नीचे के चरणों में पूरी की जाती है।

1- साइड मार्जिन सहित डिजाइन के अनुसार उपयुक्त आकार के एक फ्लैट लकड़ी के टुकड़े का चयन किया जाता है।

2- इस लकड़ी के टुकड़े के नीचे और ऊपर की सतहों को हैंड प्लेन टूल से समतल और चिकना बनाया जाता है।

3- अब, इस सपाट लकड़ी  के टुकड़े की निचली सतह को सैंडपेपर की मदद से रगड़ा जाता है।

4- लकड़ी के टुकड़े की रगड़ी हुई सतह को फिर हटाने योग्य सफेद रंग से लेपित किया जाता है।

5- अब आवश्यक डिजाइन इस सफेद-लेपित सतह पर स्थानांतरित कर दिया जाता  है।

6- डिजाइन को सफेद लेपित सतह पर बारीक और छोटी छेनी और ड्रिल जैसे काटने वाले औजारों की मदद से उकेरा जाता  है।

7- लकड़ी के टुकड़े का वह भाग जो कपड़े पर अनप्रिन्टेड क्षेत्र के रूप में दिखाई देता है, केवल उकेरा गया भाग होता  है।

8- लकड़ी के टुकड़े का वह भाग जो मुद्रित क्षेत्र के रूप में दिखाई देता है, ब्लॉक में एक उभरी हुई सतह के रूप में रहता है।

9- ब्लॉक के डिजाइन की उचित सफाई और फिनिशिंग की जाती है।

10- अंत में, प्रत्येक ब्लॉक को कोने 'पिच पिन' की आवश्यकता होती है जो छोटे बिंदुओं को मुद्रित करता है।

11- ये पहले से मुद्रित बिंदुओं के ऊपर पिच पिनों को सटीक रूप से ढूंढकर सफल ब्लॉकों को सही ढंग से तैनात करने की अनुमति देते हैं।

12- छपाई के दौरान इसे उठाने और दबाने के लिए इस ब्लॉक के ऊपर एक हैंडल लगाया जाता है।

13- उभरी हुई सतह की गहराई 10 मिलीमीटर और उससे अधिक रखी जाती है।

प्रिंटिंग टेबल पर फैब्रिक माउंटिंग और फिक्सिंग:

1- ब्लॉक प्रिंटिंग के लिए एक फ्लैट टेबल की आवश्यकता होती है।

2- टेबल की चौड़ाई प्रिंट की जाने वाली फैब्रिक की चौड़ाई के हिसाब से रखी जाती है।

3- टेबल की चौड़ाई हमेशा कपड़े की चौड़ाई से ज्यादा रखी जाती है।

4- टेबल की चौड़ाई के दोनों ओर कम से कम 6 इंच का मार्जिन रखा जाता है।

5- टेबल की सतह को लचीला बनाने के लिए टेबल की सतह पर कुशनिंग की जाती है।

6- टेबल की प्रिंटिंग सतह पर उपयुक्त कपड़े की कई परतें बिछाई जाती  हैं।

7- ये कपड़े की परतें टेबल की सतह पर फिक्स करदी जाती  हैं।

8- ये ध्यान रहे की कुषाण  पर सलवट  नहीं पड़नी चाहिए।

9- अब, कपड़ा टेबल पर फैलाया जाता  है।

10- फैब्रिक सेल्वेज टेबल की लंबाई के समानांतर होना चाहिए।

11- प्रिंट होने वाले कपड़े से सलवटें  हटा दी जाती हैं।

12- कपड़े को स्टील की पिन की मदद से कुशन पर फिक्स किया जाता है।

13- सबसे पहले कपड़े के एक किनारे को एक सीधी रेखा में टेबल पर फिक्स कर  दिया जाता है।

14- अब, कपड़े का दूसरा किनारा टेबल पर फिक्स किया जाता  है।

15- ये ध्यान रहे की फिक्सिंग के दौरान कपड़े में सलवटें  नहीं पड़नी चाहिए।

16- इस तरह कपड़ा छपाई के लिए तैयार हो जाता  है।

रंग तैयार करना:

1- कलर ट्रे में वांछित रंग तैयार किया जाता है।

2-विभिन्न रसायनों जैसे बाइंडर, थिकनर और सॉफ्टनर को रेसिपीज  के अनुसार रंग में मिलाया जाता है।

3- प्रत्येक रंग के लिए एक अलग रंग  ट्रे का उपयोग किया जाता है।

4- रंग  ट्रे में एक मोटा ऊनी कपड़ा या पतली स्पंज शीट रखी जाती है।

5-ऊनी कपड़े या स्पंज शीट रंग को अच्छी तरह से सोख लेती है।

6- इस प्रकार से  हमारी रंग तैयार करने की प्रक्रिया पूरी हो जाती  है।

कपड़ा छपाई प्रक्रिया:

1- फैब्रिक प्रिंटिंग प्रक्रिया डिजाइन के अनुसार शुरू होती है।

2- आम तौर पर लाइट शेड पहले प्रिंट किया जाता है।

3- ब्लॉक को इसमें लगे हैंडल की मदद से ग्रिप किया जाता है।

4- ब्लॉक की छपाई की सतह को रंगीन ट्रे में रखे ऊनी कपड़े या स्पंज से छुआया  जाता है और धीरे से दबाया जाता है।

5-ब्लॉक की छपाई की सतह पर अच्छी तरह से रंग लग  जाता है।

6- अब, इस ब्लॉक को डिज़ाइन के अनुसार कपड़े पर रखा जाता है और कसकर दबाया जाता है।

7- इस प्रकार रंग अब कपड़े की सतह पर स्थानांतरित हो जाता  है।

8-इस ब्लॉक को  डिजाइन के अनुसार पूरा होने तक दोहराया जाता है।

9- अब, दूसरे, तीसरे और चौथे ब्लॉक को आवश्यक क्रम में लिया जाता है और कपड़े पर रंग प्रिंट  किये जाते  हैं।

प्रिंटेड कपड़े सुखाना:

1- जब कपड़े की छपाई पूरी हो जाती है, तब भी कपड़ा थोड़ा गीला होता है।

2-यदि हम छपाई के ठीक बाद इस कपड़े को टेबल से हटाते हैं, तो कपड़े पर रंग के धब्बे लग  सकते हैं।

3- हम सिर्फ छपाई के बाद कपड़े को नहीं हटाते हैं।

4-कपड़े को कुछ समय के लिए प्रिंटिंग टेबल पर छोड़ दिया जाता है।

5- वायुमंडलीय हवा प्रिंटेड  कपड़े के संपर्क में आती है।

6-कपड़े में मौजूद नमी अब धीरे-धीरे वाष्पित होने लगती है।

7- कुछ समय बाद कपड़ा आधा सूख जाता है।

8-अब वहां पर कलर स्पॉट लगने की संभावना खत्म हो जाती  है।

9- अंत में, कपड़े को प्रिंटिंग टेबल से सावधानीपूर्वक हटा दिया जाता है और खुले स्थान पर डोरिओं  पर लटका दिया जाता है।

10- कपड़ा सीधी धूप के संपर्क में आता है और पूरी तरह से सूख जाता है।

कपड़े की क्युरिंग एंड फिनिशिंग:

1- ऊपर छपे कपड़े के रंगों में पर्याप्त फास्टनेस नहीं होती है।

2-यह कपड़ा क्युरिंग  की प्रक्रिया से गुजरता है।

3- क्युरिंग प्रोसेस में कपड़े को एक निश्चित समय के लिए हीटिंग चेंबर से गुजारते हैं।

4-क्योरिंग प्रक्रिया के बाद कपड़े की क्रॉकिंग फास्टनेस में सुधार होता है।

5- अंत में, कपड़े के टच नाड फील  को बेहतर बनाने के लिए कपड़े पर सॉफ़्नर लगाया जाता है।

6-इस प्रकार प्रिंटेड  कपड़ा उपयोग के लिए तैयार हो जाता है।

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